स्वस्थ जीवन जीने के लिये व्यक्ति को अपने खान-पान और रहन-सहन के नियम निश्चित करने के पहले अपनी प्रकृति अवश्य जान लेनी चाहिये।
रिपोर्ट : राहुल कुमार (न्यूज़ आज)

किंतु देश में ऐसे बहुत कम आयुर्वेद केंद्र हैं जहां व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुसार जीवन यापन के नियम बताये जा रहे हों।
सौभाग्य की बात है कि नोएडा में भारतीय धरोहर के द्वारा देश का पहला प्रकृति परीक्षण और परामर्श का केंद्र चल रहा है। यह विचार आज भारतीय धरोहर विचार मण्डल ग्रेटर नोएडा के द्वारा आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के समापन के ठीक पहले भारतीय धरोहर के महामंत्री श्री विजय शंकर तिवारी ने व्यक्त किये।
भगवान श्री कृष्ण ने जरासंध की पराजय के बाद उसके पुत्र सहदेव को ही राजा बनाया। जरासंध वध प्रसंग का विस्तार से वर्णन करते हुये आचार्य पवन नंदन जी ने बताया कि पांडवों ने पितरों की तृप्ति के लिये राजसूय यज्ञ का आयोजन किया था। राजसूय यज्ञ में भोजन की व्यवस्था भीम को सौंपी। आचार्य जी ने बताया कि अपने किसी भी पारिवारिक आयोजन में भोजन की व्यवस्था किसी खाने पीने के शौकीन को देनी चाहिये।
कथा के आरम्भ में मुख्य यजमान श्री नरेश गुप्ता और दैनिक यजमान श्री संजय सूदन, श्री आनंद भाटी, श्री नितिन अग्रवाल, श्री देवीशरण शर्मा और श्री देवाशीष गौड़, जो कि आज के भंडारा सहयोगी भी हैं ने व्यास पीठ का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
ग्रेटर नोएडा में दिनांक 17 से 23 मार्च तक प्राचीन भारत की ज्ञान सम्पदा के संरक्षण, संवर्धन और निःशुल्क आयुर्वैदिक चिकित्सा को समर्पित भागवत कथा का आयोजन डेल्टा वन, ग्रेटर नोएडा के कम्यूनिटी सेंटर में किया जा रहा था।
आज कथा में भारतीय धरोहर के संरक्षक श्री प्रमोद गुप्ता, श्री संजीव सक्सेना, डा. नितिन अग्रवाल, आयोजन समिति के संरक्षक श्री कुलदीप शर्मा, श्री मनोज सिंघल, श्री प्रमोद चौहान, कपिल कृष्ण, मुकुल गोयल , सरोज तोमर, श्रीमती विनीता शर्मा, श्रीमती ममता सिंह, श्रीमती पूनम अग्रवाल, रश्मि अरोड़ा, श्री ललित शर्मा, श्री संजय सूदन, श्री गौरव उपाध्याय, श्री डी के अरोड़ा, श्री अनुज उपाध्याय, श्री कौशल गुप्ता एवं सतीश गुप्ता भी उपस्थित रहे।